- ब्राह्मण कौन है? जो निष्पाप है, निर्मल है, निरभिमान है, संयमी है, विद्वान् है, ब्रह्मवादी है, धर्मप्राण है, वही ब्राह्मण है।
- जो मनुष्य बदला लेना चाहता है वह अपने घाव को ताजा बनाये रखने की फिक्र करता है। जो बदला लेना नहीं चाहता, उसका घाव तुरन्त भर जाता है।
- दूसरों का सौभाग्य देखकर ईर्ष्या न करो। क्योंकि ऐसे अनेक व्यक्ति होंगे जो तुम्हारी श्रेणी में न पहुँचने के लिए भी दुःखी होंगे।
- जीवन तो वही है जो अनेकों को प्रकाश दे। प्रकाश उसी का नाम है, जिसकी चमक से अनेकों में आशा भर उठे।
- यदि तुम सफलता चाहते हो तो अध्यवसाय को अपना मित्र, अनुभव को अपना सलाहकार, सावधानी को भाई, और आशा को अपना अभिभावक बनाओ।
- अपने हृदय को आवाज की सुनी। वही परमात्मा की आवाज है और वही महामंगलकारिणी है। यह आवाज सबके हृदय में है, परन्तु सुन कर के भी उसके अनुसार चलना न चलना अपना काम है। ध्यान दो कोई बुरा काम करने को नीयत करने पर हमारा हृदय खुद बोल उठता है। यही ईश्वर का नक्कारा है।
- जो सुमार्ग से भटके हुए हैं, उन्हें प्यार से समझा कर राह पर लाओ। दुर्जनों के सुधार के लिए भी कोमल बात, कठोर लात से उपयोगी है।
- क्षण भंगुर वस्तुऐं तुम्हें क्या सुख दे सकती हैं, जो स्वयं मरने जा रहा है वह तुम्हें क्या जिलावेगा। वास्तविक सुख देने वाली वस्तुऐं वह हैं जो स्वयं स्थायी और अमर हैं।
- मनुष्य का महत्त्व उसकी ताकत, विद्या, बुद्धि या लक्ष्मी में नहीं वरन् उसका बड़प्पन ईमानदारी और परोपकार में निहित है।
Tuesday, September 29, 2015
Anmol Vachan Aur Suktiyan अनमोल वचन और सूक्तियां
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