शरीर शास्त्र के पंडित जानते हैं कि मनुष्य की मानसिक वृत्तियों आदतों के अनुसार उसके शरीर की बनावट भी हो जाती है। किसी आदत के दृढ़ होने पर उसको लक्षण शरीर पर स्पष्ट प्रतीत होने लगते हैं। इन लक्षणों द्वारा मनुष्य का स्वभाव जाना जा सकता है। इस लेख में उसी पर प्रकाश डाला जा रहा है। आशा है पाठक कि इससे लाभ उठावेंगे।
मस्तक के लक्षण
- जिस मनुष्य का मस्तक ऊँचा तथा चौड़ा है वह राजा के समान ऐश्वर्य भोगता है।
- जिसका माथा चौड़ा हो और उस पर शंख चिन्ह हो वह व्यक्ति निर्धन वंश में जन्म लेकर भी विद्वान और यशस्वी होगा।
- जिसके माथे पर धनुष या श्रीवत्स के चिन्ह हों वह पराक्रमी और बड़ा प्रतापी होगा।
- जिसका माथा कम चौड़ा हो एवं उसका डडडड का सा चिन्ह हो तो वह धर्माचार्य के रूप में लोगों को ठगने वाला और पाप वृत्तियों में रत रहने वाला होगा।
- जिसका मस्तक छोटा हो वह साधारण डडडड परन्तु उदार और धर्म प्रेमी होता है।
- जिसका मस्तक ऊँचा नीचा टेढ़ा मेढ़ा उभरा हुआ होता है वह दुर्बुद्धि, पाप कर्मों वाला होता है।
- जिसके मस्तक पर ऊँची ऊँची रेखाएं और डडडड की पंखड़ियों की तरह नसें चमकें वह बहुत धनवान होता है।
- जिसके मस्तक पर पूरी तीन रेखाएं स्पष्ट दिखाई दें वह दीर्घ जीवी और सदाचारी होता है।
- जिसके मस्तक पर चार रेखाएँ स्पष्ट दिखाई दें वह सौ वर्ष की आयु का उपभोग करता है।
- जिसका मस्तक नीचा, बीच में गड्ढेदार और बेढंगी नसों से भरा हुआ हो वह दुष्ट कर्मों में रत और जेल आदि राज दंडों को भोगता है।
- जिसके मस्तक पर सीधी एक रेखा बालों की जड़ तक चली गई हो वह सुख और यश के साथ 80 वर्ष तक जीवित रहता है।
- जिसकी भृकुटी के ऊपर मस्तक पर चन्द्रमा के समान रेखाएं प्रतीत हों वह 120 वर्ष जीता है।
- जिसके मस्तक पर पूरी पाँच रेखाएं हों वह धनवान और सौ वर्ष की आयु वाला होता है।
- जिसके मस्तक पर एक रेखा स्पष्ट और ठीक तरह से देख पड़े वह 90 वर्ष जीवित रहता है।
- जिसके मस्तक पर खंडित तीन चार रेखाएं हों वह बुद्धिमान होते हुए भी विश्वासघाती, कपटी, चिंतित लम्पट और अल्पायु होता है।
- जिसके मस्तक के बाएं भाग में टेढ़ी मेढ़ी और छोटी छोटी रेखाएं हों वह जवानी आने से पूर्व ही मर जाता है।
- जिसके माथे पर एक भी रेखा न हो वह 90 वर्ष जीता है।
- जिसके मस्तक पर 6, 10 या 11 रेखाएं अधूरी हों तो वह 40 वर्ष की आयु में मर जाता है।
- जिसके मस्तक पर भृकुटी के पास टेढ़ी मेढ़ी किन्तु पूरी एक रेखा बने तो वह 30 वर्ष जीवित रहेगा।
- जिसके मस्तक पर भृकुटी के पास केवल एक रेखा बने किन्तु भृकुटियों के बाल आपस में मिले हुए न हों तो वह राजा या राजा के समान ऐश्वर्यमान होगा।
- मस्तक सकोड़ने पर भी जिसके ललाट पर सलवटें न पड़ें वह बहुत ही थोड़ी आयु तक जीवित रहता है।
- जिसके मस्तक पर पूरा रामानंदी तिलक का चिन्ह हो वह बड़ा होनहार, पुरुषार्थी, धनी, विद्वान यशस्वी और 50-60 वर्ष की आयु भोगने वाला होता है।
- जिसका मस्तक का रामानन्दी तिलक दूर से ही दिखाई पड़े, भृकुटियों से लेकर बालों की जड़ तक चला गया हो उस तिलक के बीच की रेखा कुछ टूटी सी हो तो वह 13 मास या 13 वर्ष के अन्दर मर जाता है। यदि इस आयु को पार कर गया तो किसी राजा का मंत्री होगा।
- ललाट सकोड़ने पर जिसके मस्तक पर तिरछी तीन रेखाएं पड़ें वह गायक, चार पड़ें पर धनी, पाँच पड़ें वह विद्वान और छै पड़ें वह निर्धन होता है।
- जिसका माथा कम चौड़ा किन्तु अधिक ऊँचा हो वह विद्वान किन्तु धनहीन होता है।
भृकुटी (भौंह) के लक्षण
- जिसकी भौहें हलकी काली, मोटी, छोटी और खुरदरी हों वह दुराचारी और दरिद्री होता है।
- जिसकी भौहें खुली हुई, गहरी, काली, चिकनी नरम और छोटी हों वह धनी, सदाचारी और विद्वान है।
- जिसकी भौहें उखड़ी हुई सी, छिर छिरी, खंडित छोटे सिरे वाली हों, वह व्यक्ति जन्म भर दुखी रहेगा।
- जिसकी भौहें नाक की हड्डी के पास से निकल कर दौज के चन्द्रमा के समान झुकी हुई हों, बड़ी-चौड़ी तथा काली हों वह पुरुष अवश्य ही धनवान होगा।
- जिस पुरुष की भौहें बीच में अधिक झुकी हुई हों, वह दुराचारी और नीच विचारों वाला होगा।
- जिसकी भौहें सदैव नीचे को ही गिरी सी रहें और चिपटी से रहें, वह निर्धन, दुखी और सन्तान से रहित होगा।
- जिसकी भौहें ऊँची नीची हों वह दरिद्री रहेगा।
- जिसकी भौहें बहुत ऊँची और धनुषाकार हों वह सुखी रहेगा।
जिस प्रकार नाड़ी परीक्षा के लिए अनेक रोगियों की गाड़ी देखने के बाद ही नये चिकित्सक को भली प्रकार ज्ञान हो पाता है। उसी प्रकार शारीरिक लक्षणों के संबंध में भी अनेक व्यक्तियों पर परीक्षा जारी रखना चाहिए। इससे परीक्षा संबंधी अनुभव बढ़ता है और वे सूक्ष्म भेद समझ में आ जाते हैं जिनके थोड़े से ही परिवर्तन के कारण स्वभाव में भारी अंतर हो जाता है। जिन लोगों ने निरंतर के अभ्यास द्वारा मनुष्य की पहचान करने की योग्यता प्राप्त कर ली है वे आसानी से भले-बुरे का अन्तर जान सकते हैं और उसके अनुसार अपने व्यावहारिक जीवन में लाभ उठाते हैं।
नेत्रों की परीक्षा
- नीले कमल के समान जिसके नेत्र हों वह विद्वान पंडित होगा।
- लाख के समान लाल नेत्रों वाला पुरुष विद्वान, धनी और यशस्वी होता है।
- मोती के समान सफेद आँखों वाला व्यक्ति धर्मतत्व का जानने वाला और विद्यावान् होता है।
- हाथी जैसे छोटे नेत्रों वाला पुरुष उच्च पद को प्राप्त करता है।
- जिनके नेत्र बड़े-बड़े होते हैं वह लम्बी आयु का उपभोग करते हैं।
- शहद के समान लाल या सोने की तरह पीले जिसके नेत्र हों वह मनुष्य धनवान होता है।
- हरताल के रंग के जिसके नेत्र हों वह राज ऐश्वर्य पाता है।
- हलके नीले रंग के, कुछ ललाई लिए हुए और चमकदार नेत्र धनवानों के होते हैं।
- जिसके नेत्रों की लम्बाई चौड़ाई अधिक हो वह इन्द्रिय भोगों में लिप्त रहने वाला होता है।
- कौआ या मेंढक जैसी आँखों वाले लोग नीच स्वभाव के होते हैं।
- साधारण जीवन व्यतीत करने वालों के नेत्र मोर या नकुल जैसे होते हैं।
- दीनता और भय भरे हुए नेत्रों वाले लोग दरिद्र होते हैं।
- कबूतर जैसे और चिकने नेत्रों वाला भोगों में अत्यंत लिप्त रहता है।
- घुमैले, मटीले रंग की आँखें सदाचारी, नेक और ईमानदार पुरुषों की होती हैं।
- मोटी आँखों वाले को बुद्धिमान समझना चाहिए।
- धर्मात्मा और पुण्यशील व्यक्ति दृष्टि को कुछ ऊँची उठा कर चलते हैं।
- धूर्त और कपटी मनुष्य नीचे की और आँखों करके चलते हैं।
- क्रोधी मनुष्य टेढ़ा-टेढ़ा देखता है।
- अकारण इधर उधर आँखें चलाने वाला दरिद्र और चोर होता है।
- अंधे, काने और भोंडे आदमियों में कुछ न कुछ भयंकर दुर्गुण अवश्य होते हैं।
- झुकी हुई या बैठी हुई आँखों वाला अल्प आयु में ही मर जाता है।
- इठे हुए, अकड़े हुए और गोल नेत्रों वाला मनुष्य भरी जवानी में मर जाता है।
- सफेद चमकते हुए और बिल्कुल गोल नेत्रों वाला व्यक्ति कम पढ़ा, पैसे वाला और चालाक होता है।
- शुद्ध हृदय वाले मनुष्य सामने की ओर कुछ नीचे देखकर चलते हैं।
- वार्तालाप में बार-बार आँखें चुराने वाले लोग कपटी, दुर्भावना रखने वाले और खुशामदी होते हैं।
- सर्प की सी चितवन वाला अक्सर बीमार पड़ा रहता है।
- छोटी आँखों वाले की जिंदगी दुख में कटती है।
- उल्लू की सी आँखों वाले पर पीड़क और दुष्ट होते हैं।
- मुर्गे की तरह देखने वाले लोग कलह प्रिय और ईर्ष्या करने वाले होते हैं।
- बिल्ली की तरह देखने वाला पापी और चोर होता है।
- भेड़िए की सी चितवन वाले पुरुष क्रोधी होते हैं।
- बगुले की सी चितवन वाले दुष्ट और दरिद्री होते हैं।
- पलकों पर जिसके बहुत थोड़ी बिनूनी वाला हो वह अल्पायु होता है।
- घनी और लंबी बिनूनी वाले दीर्घायु जीते हैं।
- बिना बिनूनी वाले लोग दुराचारी एवं चोर होते हैं।
- मोटी पीली अप्रिय रंग की खुरदरी, छितरी बिनूनी वाले मनुष्य नीच वृत्ति के होते हैं।
- काली पुतली वाली बड़ी आँखों वाला मनुष्य जिसकी बिनूनियाँ सुँदर और सुनहरी हों अवश्य ही धनवान भाग्यवान और आयुवान होता है।
- जिसकी पुतली बहुत काली हो वह आँखों की बीमारियों से पीड़ित न रहेगा।
- कंजे नेत्रों वाले पुरुष स्वभावतः दुष्ट होते हैं।
- बहुत ही छोटे, लाल, रूखे, जलभरे, मैले नेत्रों वाले मनुष्य बहुधा दरिद्र होते हैं।
- जो मनुष्य बातें करते समय बार-बार आँखें मिचकावे वह अक्सर बगुला भगत होते हैं।
- भीतर धंसे हुए, छोटे-छोटे, कुटिल नेत्रों वाले साधारण स्थिति के आदमी होते हैं। यदि उनके पास अधिक धन न होता तो भूखों भी न मरेंगे।
कानों की पहचान
- लंबे कानों वाला पुरुष सुशील सदाचारी किन्तु मूर्ख होता है।
- मोटे कानों वाले की पहली आधी उम्र सुख में और पीछे की आधी उम्र दुख में कटती है।
- चूहे के जैसे कानों वाला मनुष्य विद्वान और बुद्धिमान होता है।
- सुन्दर बनावट के, छोटे छेद वाले, और मझोले आकार के कान उत्तम व्यक्तियों के होते हैं।
- शंख की सी बनावट के कानों वाले मनुष्य किसी दल के अधिनायक होते हैं।
- जिनके कानों में बीच की नसें न हों वह अल्पायु जीते हैं।
- टेड़े मेड़े, बेडौल बड़े और असंख्य नसों से भरे हुए कानों वाले मनुष्य बुरे कर्मों में रुचि रखने वाले होते हैं।
- कड़े, सूखे से छोटे-छोटे कानों वाले व्यक्ति दुष्ट और दरिद्र होते हैं।
- बहुत बड़े और मोटे कानों वाले मनुष्य ऐश्वर्य भोगी और सुख की जिन्दगी बिताने वाले होते है।
- जिस व्यक्ति के कानों पर बड़े-बड़े रोम हों वह दीर्घायु जीता है।
- चपटे कानों वाला पुरुष इन्द्रिय लोलुप होता है।
- जिसके कान सिंघाड़े के आकार के हों और नीचे के भाग पर नीली नीली नसें चमकती हों वह अविश्वसनीय विश्वासघाती और निर्धन होता है।
बालों की पहचान
- जिसके बाल स्वभावतः पीछे की ओर मुड़ने वाले और नर्म हों वह चाहे जितना गुणवान होने पर भी अपयश और निंदा ही प्राप्त करता है।
- पतले, नरम, चिकने, स्वभावतः घुंघराले बाल उच्च कोटि के विद्वान, धनवान या राजाओं के होते हैं।
- मोटे, रूखे, खुरदरे, नीचे ऊँचे वाले धनाभाव के सूचक हैं।
- बहुत छोटे, टेड़े, दूर-दूर कड़े बाल जीवन का दुखमय होना प्रकट करते हैं।
- रोगी या चिन्तातुर लोगों के बाल अल्पायु में ही खेत हो जाते हैं।
- सुनहरी बाल सुँदर स्वभाव, मिलनसारी और ईमानदार को प्रकट करते है।
- जल्दी बढ़ने और घने गहरे काले बाल शूरता, तेजस्विता और बहादुरी के प्रतीक हैं।
सिर के लक्षण
- हाथी के मस्तक की सी बनावट के सिर वाला मनुष्य राजाओं के समान ऐश्वर्य पाता है।
- खुली हुई छतरी की सी बनावट के सिर वाला मनुष्य उच्च पद पर प्रतिष्ठित होता है।
- बड़े किन्तु नीचे सिर वाला व्यक्ति धर्मात्मा और विद्वान होता है।
- लट्टू की सी बनावट के सिर वाला भाग्यशाली होगा।
- महापुरुषों का सिर नीचे से ऊपर की ओर उतार-चढ़ाव का होता है।
- एक से सीधे सिर वाले मनुष्य साधारण स्थिति के होते हैं।जिसका तालू बाल रहित या थोड़े बालों वाला होता है वह धनी, विद्वान एवं सम्पन्न व्यक्ति होगा।
- जिसकी चोटी के बाल उड़ जायें वह यशस्वी होगा और प्रतिष्ठा प्राप्त करेगा।
- सुन्दर, सुडौल और बड़े सिर वाले मनुष्य धनवान, विद्यावान् किन्तु मंद बुद्धि होते हैं।
- मझौले, गोल और ऊँचे सिर वाले ईश्वर भक्त, सत्यनिष्ठ एवं सुख से जीवन व्यतीत करने वाले होते हैं।
- छोटे सिर वाले लोग अधूरी विद्या पढ़े, चालाक और कार्यपटु होते हैं।
- गंजे सिर वाला मनुष्य दरिद्री और दुष्ट आचरण वाला होता है।
- कलश की सी बनावट के मस्तक वाले व्यक्ति चोर, लम्पट और विश्वास घाती होते हैं।
- जिसका सिर मछली जैसा हो वह दुख में जीवन व्यतीत करता है और अकर्मों में लगा रहता है।
- जिसके सिर में दो सिर जुड़े होने के से लक्षण मिलें वह बुरी आदत धारण किये होगा।
- चपटे सिर वाले मनुष्य स्वजनों से द्रोह करने वाले, कलह प्रिय और व्यभिचारी होते हैं।
- ऊँचे, नीचे, टेड़े, मेड़े सिर वाले मनुष्य सेवक वृत्ति से जीवन व्यतीत करने वाले एवं रोगी होते हैं।
- जिसके सिर में जगह-जगह गूलर से उठे हुए हो वह जन्म दरिद्री और आलसी होता है।
- बहुत बड़े सिर वाले मनुष्य सिर रोगों से पीड़ित, उदासीन और बेकारी को पसंद करते हैं।
- जिसके सिर की ऊपर वाली तली बिलकुल सपाट हो अर्थात् गोलाई न हो वह व्यक्ति हिंसक वासना में अत्यंत रुचि रखने वाला होगा।
नाक के लक्षण
- जिसकी नाक के नथुने गेंद की तरह गोल और भीतर बहुत बालों से युक्त हों वह आदमी यशस्वी धनवान किन्तु बेईमान होगा।
- हंसी, क्रोध या शोक के समय जिसकी नाक पर एक नस बिजली की तरह बार-बार चमके वह जीवन भर किसी काम में पूर्ण सफलता प्राप्त न कर सकेगा।
- धनवानों को बहुधा एक साथ दो छींक आती हैं।
- जिसे एक साथ तीन छीकें आये वह बड़ी उम्र वाला होगा।
- जिसकी नाक अपनी उंगलियों से ढाई अंगुल हो वह धनहीन होगा।
- जिसकी नाक की लंबाई अपनी उंगलियों से तीन अंगुल हो वह धन की दृष्टि से साधारण स्थिति का किन्तु बहुत संतान वाला होगा।
- जिसकी नाक की लंबाई अपने उंगलियों से साढ़े तीन अंगुल हो वह अपने बाहु बल से धन उपार्जन करेगा और संतान की ओर से दुखी रहेगा।
- जिसकी नाक की लम्बाई चार अंगुल हो वह अल्प आयु में ही इस संसार से चला जायेगा।
- लम्बी और मोटी नाक वाले चालाक, बुद्धिमान और धन से सुखी रहते हैं।
- जिसकी नाक साँप की तरह टेढ़ी-मेढ़ी हो वह विश्वास घाती, कपटी किन्तु पुरुषार्थी होता है।
- जिसके नथुने मोटे हों किन्तु भीतर का छेद छोटा हो वह दीर्घायु और भाग्यवान होगा।
- जिसके नथुने बहुत चौड़े और मोटे हो वह धूर्त, पाखंडी ओर स्वार्थी होगा।
- सूखी सी नाक वाले अधिक दिन जीते हैं।
- तोता की तरह खम खाई हुई नाक वाले राज ऐश्वर्य भोगते हैं।
- ऊँची नाक वाले सदाचारी और उदार होते हैं।
- तिल के फूल जैसी नाक वाले गुणवान और कला प्रिय होते हैं।
- जिसकी नाक उठी हुई, गोलाई लिये , सीधी एवं पुष्ट होती है वह व्यक्ति प्रचुर धन वाला होगा।
- छोटी नाक वाले अवगुणी होते हैं।
- जिसकी नाक छीपटी सी पतली लंबी और ऊँची हो वह दम्भी होगा।
- जिसकी नाक के छिद्र बहुत ही पतले हों वह सदा आर्थिक कष्ट भोगता है।
- सिकुड़ी हुई नाक वाले अक्सर चोर होते हैं।
- चपटी नाक वाले कामी होते हैं और वे स्त्रियों से बार-बार अपमानित होते हैं।
- जिसकी नाक बीच में बैठी हुई हो, वे पुरुष, ठग, मधुर भाषी और कायर होते हैं।
- बाँई ओर टेड़ी नाक वाले सदाचारी और धन हीन होंगे।
- दाहिनी ओर झुकी नाक वाले क्रोधी, धनी, क्रूर और बहुभक्षी होंगे।
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